बर्लिन। जर्मनी ने एक लेबनीज मुस्लिम डॉक्टर (स्मइंदमेम क्वबजवत) की नागरिकता इसलिए रद्द कर दी, क्योंकि उसने नागरिकता के कागजात को लेते समय महिला अधिकारी से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया था। उस व्यक्ति ने जर्मनी में ही रह कर पढ़ाई की थी और सरकार ने उसे नागरिकता भी दे दी थी, लेकिन हाथ न मिलाना उस पर भारी पड़ गया।
Muslim did not join hands with woman, German citizenship was rejected
Berlin. Germany revoked the citizenship of a Lebanese Muslim doctor (Smindame Kawbajwat) because he refused to join hands with a female officer while taking citizenship papers. The person had studied in Germany and the government had also given him citizenship, but not joining hands overshadowed him.
जर्मनी की सरकार के फैसले को मुस्लिम शरणार्थी ने कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराया और कहा कि सरकार को ऐसा करने का हक है।
इसके पीछे कोर्ट ने तर्क दिया कि कागजात देने के बाद हाथ मिलाने का मतलब है कि आपका सरकार के साथ अनुबंध है और आप इसे स्वीकार करते हैं।
हाथ मिलाने से मना करने का मतलब है कि आपको जिन शर्तों पर नागरिकता दी जा रही है, आप उसे नहीं मानते। ऐसे में सरकार की ओर से लिया गया फैसला बिल्कुल सही है।
कोर्ट ने जिस व्यक्ति के खिलाफ फैसला सुनाया। वो साल 2002 से जर्मनी में ही था और अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई भी उसने यहीं से की थी। यही नहीं, उसने जर्मन सरकार की सारी शर्तें भी मानी थीं।
उसने टेस्ट (German naturalization test) भी सबसे ज्यादा नंबरों से पास किया था और साल 2012 में आवेदन के बाद उसे अब नागरिकता मिल रही थी। कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को जर्मनी के नियम कानून के हिसाब से ही नागरिकता मिलती है। और हाथ मिलाना तो जर्मन समाज में आम बात है, जिसे मना करने का मतलब है कि आप जर्मन समाज के हिसाब से नहीं चलना चाहते।